नमनाक अपनी आँख भी होने लगी सो हम, कुछ देर अपने आप में बिल्कुल नहीं लगा ! नमनाक अपनी आँख भी होने लगी सो हम, कुछ देर अपने आप में बिल्कुल नहीं लगा !
खुशियाँ बिखेरूँगा जब तक है जान, मुझको पहचान लो, माए नेम इज़ खान...! खुशियाँ बिखेरूँगा जब तक है जान, मुझको पहचान लो, माए नेम इज़ खान...!
तुम्हारे पाक मंदिर मेंजो अंधी बुढ़िया रहती हैमैं उसको अपनी आँखें दान करना चाहता हूँ तुम्हारे पाक मंदिर मेंजो अंधी बुढ़िया रहती हैमैं उसको अपनी आँखें दान करना चाहता ...